नयी दिल्ली, 25 जनवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रक्रिया में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल दुनिया के सभी लोकतंत्रों के लिए एक उदाहरण है और उम्मीद जताई कि भविष्य में इसका उपयोग बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने महिलाओं, विकलांग व्यक्तियों और कमजोर समूहों की भागीदारी बढ़ाकर समावेशी चुनाव सुनिश्चित करने में चुनाव पैनल के प्रयासों की भी सराहना की।
राष्ट्रपति यहां 14वें राष्ट्रीय मतदाता दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
चुनाव आयोग की स्थापना भारत के गणतंत्र बनने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को की गई थी। पिछले 14 वर्षों से चुनाव आयोग का स्थापना दिवस राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि चुनाव प्रक्रिया से संबंधित सभी गतिविधियों में चुनाव आयोग द्वारा प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग को और बढ़ाया जाएगा।
मुर्मू ने कहा कि पिछले 75 वर्षों में चुनाव प्राधिकरण ने 17 लोकसभा चुनाव और 400 से अधिक विधानसभा चुनाव आयोजित किए हैं।
लोकसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया को दुनिया का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक अभ्यास बताते हुए उन्होंने कहा कि लोगों ने 12 लाख से अधिक मतदान केंद्रों पर मतदान किया और इस अभ्यास का प्रबंधन 1.5 करोड़ मतदान कर्मियों द्वारा किया गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि युवा हमारे लोकतंत्र के भविष्य के नेता हैं।
मतदाता फोटो पहचान पत्र पाने वाले युवा मतदाताओं को बधाई देते हुए मुर्मू ने कहा कि मतदान का अधिकार मिलने के बाद उनका कर्तव्य भी बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में मौजूद युवा मतदाता देश के करोड़ों युवाओं के प्रतिनिधि हैं जो 2047 के भारत के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
राष्ट्रपति ने यह सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा किए गए प्रयासों का भी उल्लेख किया कि कोई भी मतदाता छूट न जाए।
इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, चुनाव आयोग के प्रकाशन “आम चुनाव 2024 के लिए ईसीआई पहल” की पहली प्रति मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार द्वारा राष्ट्रपति मुर्मू को प्रस्तुत की गई।
यह पुस्तक चुनाव के स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी, सुलभ और भागीदारीपूर्ण संचालन को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग के प्रत्येक प्रभाग द्वारा की गई पहलों का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करती है।
फिल्म निर्माता राज कुमार हिरानी के सहयोग से ईसीआई द्वारा निर्मित एक लघु मतदाता जागरूकता फिल्म ‘माई वोट माई ड्यूटी’ भी प्रदर्शित की गई।
लघु फिल्म में कई मशहूर हस्तियों को उनके संदेशों के साथ लोकतंत्र की भावना और एक वोट की शक्ति को उजागर करते हुए दिखाया गया है।
अपने संबोधन में, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिलाओं को चुनाव में वोट देने की अनुमति सुनिश्चित करने के लिए बीआर अंबेडकर को श्रेय दिया।
उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने 1928 में ही महिलाओं के वोट देने के अधिकार का मुद्दा उठाया था।
मेघवाल ने कहा कि संविधान सभा की बहस के दौरान अंबेडकर ने ‘एक वोट, एक व्यक्ति, एक मूल्य’ के सिद्धांत की वकालत की थी।