दिल्ली उच्च न्यायालय ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म – एक्स (पूर्व में ट्विटर), मेटा, इंस्टाग्राम और यूट्यूब को अदालती कार्यवाही की वीडियो/ऑडियो रिकॉर्डिंग हटाने का निर्देश दिया, जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मार्च में दिल्ली आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद राउज एवेन्यू अदालत को व्यक्तिगत रूप से संबोधित किया था।

अदालत ने सुनीता केजरीवाल और छह अन्य को नोटिस जारी किया और उनके जवाबों पर विचार करने के लिए मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को तय की। (एचटी फोटो)

न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की अवकाश पीठ ने कहा, ‘सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर), मेटा (पूर्व में फेसबुक), इंस्टाग्राम और यूट्यूब को अपने-अपने प्लेटफॉर्म से ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग तत्काल हटाने का निर्देश दिया जाता है।’ यह आदेश अधिवक्ता वैभव सिंह द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर पारित किया गया।

अब Crickit पर अपना पसंदीदा खेल देखें। कभी भी, कहीं भी। जानिए कैसे

याचिका में आरोप लगाया गया कि ऑडियो रिकॉर्डिंग अक्षय मल्होत्रा ​​नामक व्यक्ति ने एक्स पर पोस्ट की थी, जिसे बाद में मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता केजरीवाल और तीन अन्य लोगों ने दोबारा पोस्ट किया।

सुनीता केजरीवाल के अलावा, जनहित याचिका में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ-साथ मध्य जिले के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश और पांच अन्य – मल्होत्रा, नागरिक-इंडिया जीतेगा, पार्षद प्रोमिला गुप्ता, राजस्थान कांग्रेस इकाई की उपाध्यक्ष विनीता जैन और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ओबीसी विभाग के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता अरुणेश कुमार यादव का नाम भी शामिल है।

आदेश में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है कि ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग अगले आदेश तक उनके प्लेटफॉर्म पर दोबारा अपलोड न की जाए। अदालत ने सुनीता केजरीवाल और छह अन्य को नोटिस जारी किया और उनके जवाबों पर विचार करने के लिए मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को तय की।

सिंह की याचिका में विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन और अदालती कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग तथा साझा करने की कथित साजिश तथा जिला न्यायाधीश के जीवन को उच्च जोखिम में डालने के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई थी।

सिंह ने अपनी याचिका में आगे प्रार्थना की, “कथित अवमाननाकर्ता को न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के प्रावधानों के अनुसार दंडित करें और इस न्यायालय के वी.सी. नियम 2021 के उल्लंघन के दोषी पाए गए व्यक्तियों पर कानून में निर्दिष्ट प्रावधानों के अनुसार कठोर दंड लगाएं।”

सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को इस तरह की अनधिकृत रिकॉर्डिंग की पुनरावृत्ति और उसके बाद उनके प्रसार को रोकने तथा निर्देशों का पालन न करने पर किसी व्यक्ति या संस्था पर जुर्माना लगाने का निर्देश देने की भी मांग की।

28 मार्च को केजरीवाल को राउज एवेन्यू अदालत में लाया गया, जहां उन्होंने अपना मामला स्वयं प्रस्तुत करने का निर्णय लिया और विशेष न्यायाधीश को अपने मामले के तथ्य सुनाए।

सिंह ने बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) और विभिन्न अन्य विपक्षी दलों के कई सदस्यों ने अदालती कार्यवाही को बदनाम करने और उसमें हेरफेर करने के इरादे से अदालती कार्यवाही की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग की है और इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किया है।

उनकी याचिका में कहा गया है, “इस ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग से संबंधित पोस्ट #MoneyTrailExposedByKejriwal हैशटैग के साथ एक्स (तत्कालीन ट्विटर) पर प्रसारित किया गया था। जिन परिस्थितियों में ऑडियो/वीडियो रिकॉर्डिंग वायरल हुई, उससे राजनीतिक दलों द्वारा न्यायपालिका की छवि खराब करने और इस देश के आम लोगों को गुमराह करने और आम जनता को यह दिखाने की गहरी साजिश की बू आती है कि न्यायपालिका सरकार के इशारे पर और केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रही है।”


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *