नई दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर पिछले एक साल में सीवर ओवरफ्लो के कारण कई इलाकों में पानी के दूषित होने और जलजनित बीमारियों के फैलने को उजागर किया गया है।
जनहित याचिका शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की याचिका में कहा गया है कि समस्या के मुख्य कारण हैं – मुख्य मुख्य सीवर की सफाई न होना, शाखा सीवरों की सफाई न होना, सीवर सफाई मशीनों या श्रमिकों की कमी, जनशक्ति में कमी तथा पुरानी सीवर लाइनों को बदलने की आवश्यकता।
इसमें कहा गया है, “प्रतिवादी सीवर ओवरफ्लो और उसके परिणामस्वरूप जल प्रदूषण से संबंधित सभी मुद्दों को हल करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली सरकार में आंतरिक झगड़े के कारण आम जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है।”
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “पिछले एक साल में दिल्ली में सीवर ओवरफ्लो की समस्या अभूतपूर्व रही है। सीवर ओवरफ्लो के कारण कई इलाकों में पानी दूषित हो गया है। कुछ इलाकों में तो जल जनित बीमारियाँ भी फैल रही हैं। इसलिए समाज के व्यापक हित में सीवर ओवरफ्लो की समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने सीवर ओवरफ्लो के मुद्दे के संबंध में प्राधिकारियों को एक प्रतिवेदन दिया था और उसे दिल्ली के जल मंत्री से एक उत्तर प्राप्त हुआ, जिसमें उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला है कि सीवर ओवरफ्लो की इस जटिल समस्या के कारण और परिस्थितियां मुख्य रूप से दिल्ली सरकार के वित्त विभाग द्वारा उत्पन्न कृत्रिम वित्तीय संकट और प्रशासनिक दलदल के कारण हैं।
याचिका में कहा गया है, “प्राधिकारियों के बीच आंतरिक झगड़े के कारण सीवर ओवरफ्लो की समस्या का समाधान न करने के प्रतिवादियों की कार्रवाई या निष्क्रियता के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्या उत्पन्न होना, दिल्ली में रहने वाले लोगों के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उन्हें दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।”
याचिका में दिल्ली जल बोर्ड को सीवर ओवरफ्लो और इसके परिणामस्वरूप जल प्रदूषण से संबंधित सभी मुद्दों को तत्काल हल करने का निर्देश देने की मांग की गई।
याचिका में वित्त विभाग को तत्काल पर्याप्त धनराशि जारी करने तथा समस्या के समाधान के लिए प्रतिवादी दिल्ली जल बोर्ड को आवश्यक अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई है।
इसमें सीवर ओवरफ्लो की समस्या के समाधान की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति नियुक्त करने का निर्देश देने की भी मांग की गई।
याचिका में उपराज्यपाल, दिल्ली सरकार के जल मंत्री, मुख्य सचिव और वित्त विभाग, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली नगर निगम को पक्ष बनाया गया है।
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