नई दिल्ली

सोमवार को नई दिल्ली में वायु प्रदूषण के वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन के लिए सुपर-साइट का एक दृश्य। (एएनआई)

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को प्रमुख सचिव (पर्यावरण एवं वन) को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि वायु प्रदूषण पर नजर रखने के लिए सर्दियों की शुरुआत से पहले दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन चालू किया जाए।

प्रधान सचिव को लिखे पत्र में राय ने कहा कि बुनियादी ढांचे के प्रबंधन और अध्ययन की देखरेख के लिए आईआईटी कानपुर का कार्यकाल पिछले सितंबर में समाप्त हो गया था और सरकार द्वारा इसे अपने अधीन लेने की योजना अभी तक पूरी नहीं हुई है।

राय ने कहा, “चूंकि आईआईटी कानपुर के लिए अध्ययन अवधि सितंबर 2023 में ही समाप्त हो चुकी है और यह देखते हुए कि डीपीसीसी एक नियामक वायु गुणवत्ता निगरानी निकाय है, डीपीसीसी द्वारा उपकरण और मोबाइल वैन सहित मौजूदा बुनियादी ढांचे को संभालने के लिए पर्यावरण विभाग के प्रस्ताव को 26 जून, 2024 को मंजूरी दे दी गई थी।” उन्होंने कहा कि पिछली डीपीसीसी समीक्षा बैठक में “सुपर-साइट” को कार्यात्मक बनाने में देरी का उल्लेख किया गया था।

दिल्ली कैबिनेट ने जुलाई 2021 में रियल-टाइम सोर्स अपॉर्शनमेंट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी, जिसके तहत अक्टूबर 2021 में डीपीसीसी और आईआईटी कानपुर के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसने इस प्रोजेक्ट को क्रियान्वित किया था। दिल्ली सरकार को नवंबर 2022 से और आम जनता को 30 जनवरी 2023 से रियल-टाइम डेटा उपलब्ध कराया गया था।

पत्र में राय ने कहा, “यह निर्देश दिया जाता है कि दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर ‘वास्तविक समय स्रोत विभाजन’ पर अध्ययन करने के लिए स्थापित मौजूदा बुनियादी ढांचे को डीपीसीसी द्वारा सर्दियों के मौसम की शुरुआत से पहले पूरी तरह से चालू कर दिया जाए, ताकि प्रदूषण के स्रोतों के बारे में सटीक डेटा एकत्र किया जा सके और तदनुसार शमन उपाय किए जा सकें।”

पिछले अक्टूबर में मंत्री ने कहा था कि डीपीसीसी के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कथित तौर पर अध्ययन पूरा करने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण अध्ययन रोक दिया गया था। संस्थान को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में राय ने कहा कि तत्कालीन अध्यक्ष कुमार फरवरी 2023 से एकत्र किए गए डेटा की वैधता और अध्ययन की कार्यप्रणाली पर आपत्ति जता रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नवंबर में अध्ययन फिर से शुरू किया गया, लेकिन सर्दियों के बाद यह बंद हो गया।

अध्ययन दिन के किसी भी समय प्रदूषण के स्रोतों पर डेटा का आकलन और साझा कर सकता है, जिससे सरकारी निकाय विशिष्ट प्राथमिकता वाली कार्रवाई कर सकते हैं। अध्ययन का हिस्सा एक मोबाइल वैन भी शहर भर में यात्रा कर सकती है और प्रदूषण के स्रोतों पर स्थानीय डेटा दे सकती है।

प्रधान सचिव (पर्यावरण एवं वन) ने टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।


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