दिल्ली के वन एवं वन्यजीव विभाग ने मंगलवार को बताया कि पिछले महीने पालम एयर बेस पर मृत पाए गए 28 मोरों में से चार में किसी भी प्रकार का विषाणु नहीं पाया गया, जिससे संकेत मिलता है कि उनकी मौत हीटस्ट्रोक से हुई है।

वन अधिकारी ने कहा कि हालांकि हीटस्ट्रोक ही मौतों का एकमात्र कारण नहीं है, पोस्टमार्टम में निमोनिया और हेपेटोसिस की भी बात सामने आई है। (एचटी फोटो)

विभाग ने कहा कि 28 जून के बाद एयरबेस पर किसी मोर की मौत की सूचना नहीं मिली है, जब व्यापक बारिश के कारण दिल्ली में तापमान में गिरावट आई थी।

एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने कहा, “हमने पिछले सप्ताह चार मृत मोरों के शव दिल्ली चिड़ियाघर भेजे थे और चार मोरों के नमूने बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) को भेजे थे। रिपोर्ट वापस आ गई है, और वहां किए गए वायरोलॉजी परीक्षणों में कोई वायरल बीमारी नहीं पाई गई है। हमने 28 जून के बाद एयरबेस पर किसी भी मोर की मौत दर्ज नहीं की है,” उन्होंने कहा कि टीमें साइट की निगरानी करना जारी रखेंगी।

वन अधिकारी ने कहा कि हालांकि हीटस्ट्रोक ही मौतों का एकमात्र कारण नहीं है, पोस्टमार्टम में निमोनिया और हेपेटोसिस (लिवर का एक विकार) भी पाया गया है, जो दो मोरों की मौत का कारण है। अधिकारी ने कहा, “हमारा मानना ​​है कि ज़्यादातर मौतें हीटस्ट्रोक की वजह से हुईं, क्योंकि दिल्ली में बारिश के बाद मौतें रुक गईं। हमने वहां भी एहतियाती कदम उठाए हैं।”

वन एवं वन्यजीव विभाग ने 25 जून को पालम एयरफोर्स स्टेशन का निरीक्षण किया तो वहां तीन मोर मृत मिले। विभाग ने रिपोर्ट जारी कर बताया कि 4 से 25 जून के बीच वहां 27 मृत मोर मिले। एक दिन बाद एक और मोर मृत मिला।

घटना रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 जून, 6 जून, 11 जून और 12 जून को एक-एक मौत की सूचना मिली थी। 13-15 जून के बीच दो-दो मौतें हुईं। 17 जून को एक मौत की सूचना मिली, 18 जून को दो, 19 जून को चार और 20 जून को एक मौत हुई। 22 जून को दो और मौतें हुईं और 24 जून को चार मौतें हुईं।

दिल्ली में मई के मध्य से लेकर अब तक तीन बार भीषण गर्मी का दौर देखा गया, जो जून के आखिर तक जारी रहा। लगातार चार दिनों तक चलने वाली गर्मी का पहला दौर 17 से 20 मई के बीच था। दूसरा – तीनों में से सबसे लंबा – 25 मई से 5 जून तक था, जिसमें अधिकतम तापमान 29 मई को 46.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। तीसरा दौर 9 जून को शुरू हुआ और 20 जून तक चला, जिसमें प्री-मानसून बारिश शुरू होने के साथ ही तापमान में धीरे-धीरे सुधार हुआ। 28 जून को दिल्ली में मानसून के आगमन की घोषणा की गई।

आधार पर कंक्रीट के अत्यधिक उपयोग को देखते हुए विभाग ने अधिकारियों से पांच फीट व्यास और कम से कम 10 इंच गहरे पानी के गड्ढे बनाने को कहा है। एक दूसरे वन अधिकारी ने कहा, “ये गड्ढे बनाए जा रहे हैं, साथ ही आधार के कुछ हिस्सों में मोरों के लिए भोजन भी डाला जा रहा है।”


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