उत्तरी दिल्ली के किशनगंज में छह हथियारबंद लोग एक ट्रांसपोर्टर के कार्यालय में घुस गए, कर्मचारियों को बंदूक की नोक पर बंधक बना लिया और उनसे तिजोरी खोलने को मजबूर किया तथा नकदी लेकर भाग गए। ₹मामले से अवगत पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 30 लाख रुपये नकद बरामद किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस उपायुक्त (उत्तर) मनोज कुमार मीना ने गिरफ्तारियों की पुष्टि की, लेकिन जांच अभी जारी रहने के कारण चारों की पहचान उजागर करने से परहेज किया।
मामले की जानकारी देते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुरुवार रात को 63 वर्षीय देव करण और राजेश नाहटा बीकानेर असम रोडलाइन्स के दफ्तर में थे, तभी घंटी बजी। जब नाहटा ने दरवाजा खोला तो छह नकाबपोश लोग जबरन दफ्तर में घुस आए।
अधिकारी ने शिकायतकर्ता करण के हवाले से बताया, “उनमें से चार के पास पिस्तौल और दो के पास चाकू थे। उन्होंने कमरे में अलमारी की तलाशी लेनी शुरू की, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।”
इसके बाद संदिग्धों ने कर्मचारियों की पिटाई की और उन्हें कमरे में रखी तिजोरी की चाबियां देने के लिए मजबूर किया। “थोड़े विरोध के बाद कर्मचारियों ने चाबी सौंप दी। संदिग्धों ने उसे खोला और तिजोरी निकाल ली। ₹अधिकारी ने बताया, ‘‘उन्होंने भागने से पहले 30 लाख रुपये लूट लिये।’’
करण की शिकायत के आधार पर गुलाबी बाग थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 333, 310 (2) व 3(5) तथा शस्त्र अधिनियम की धारा 25/27 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
जांच के दौरान, आस-पास के सीसीटीवी फुटेज प्राप्त किए गए और स्कैन किए गए। अधिकारी ने कहा, “तकनीकी और मैनुअल निगरानी की मदद से, चार आरोपियों की पहचान की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।”
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अपने साथियों के बारे में जानकारी साझा की और उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस टीमें गठित की गईं। अधिकारी ने कहा, “उनसे पूछताछ की जा रही है कि मास्टरमाइंड कौन है और उन्हें कार्यालय में पैसे के बारे में जानकारी कैसे मिली।”